[sc name="three"]

ग्वालियर.
इरादा अगर पक्का हो तो कोई भी मुश्किल आपके कदमों को रोक नहीं सकती. बस जरूरत है पूरी इमानदारी और लगन के साथ आगे बढ़ने की. आर्थिक तंगी के बाबजूद सफलता मिलकर ही रहती है. mppsc 2015 में भी ऐसे कई अभ्यार्थी सफल हुए जिन्होंने तंगहाली के बाबजूद सफलता प्राप्त की. इसमें उनके पेरेंट्स की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण रही. आइये जानते है ऐसे ही कुछ कैंडिडेट्स के बारे में.

IITs में गर्ल्स के लिए बढेंगी 20 प्रतिशत सीटें

ग्वालियर जिले के टेकनपुर में रहने वाले केशव दयाल शर्मा बेटी को पढ़ा लिखाकर अफसर बनाना चाहते थे. लेकिन रिटायर होने के कारण जो पेंशन मिल रही थी उससे बेटी की तैयारी तो दूर खर्च चलना मुश्किल था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और रिश्तेदारों से कर्ज लेकार बेटी को mppsc की तैयारी करवाई. बिटिया भी होनहार उसने dsp बनकर पिता को अनमोल तोहफा दिया. हम बात कर रहे हैं अर्चना शर्मा की.

UPSC: इंजीनियरिंग सर्विस मेंस का एडमिट कार्ड जारी, ऐसे करें डाउनलोड

केशवदयाल शर्मा बीएसएफ में हवलदार थे लेकिन जब बेटी अर्चना ने स्नातक के बाद पीएससी की तैयारी शुरू की तो पिता रिटायर हो गए.पेंशन के रूप में उन्हें 10 हजार रुपए मिल रहे थे. इसमें दो छोटे भाई, एक बहन की देखभाल के साथ अर्चना की तैयारी में मुश्किल आने लगी. लेकिन केशव दयाल ने बेटी की तैयारी में किसी प्रकार से कमी नहीं आने दी. उन्होंने अपने जान पहचान वालों से कर्ज लिया और बेटी की तैयारी पूरी कराई.

अर्चना ने पीएससी के तीन अटेम्पट दिए. 2013 में वो सीटीआई के पद पर चयनित हुईं और वर्तमान में दतिया में पदस्थ है. 2014 में उनका सिलेक्शन नहीं हुआ और 2015 में वे डीएसपी के पद पर चयनित हो गईं. बकौल अर्चना जब वो तैयारी कर रहीं थी तब काफी परेशानियाँ आईं. लेकिन पिता ने उन्हें दूर किया. जब cti की जॉब मिली तब स्थिति ठीक हुई.

रोजी रोटी की थी समस्या
MPPSC 2015 result, vikas kumar singh, theinterview.in
आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके कराण सबसे पहले बारहवीं करने के बाद सबसे बड़ी चुनौती मेरे सामने थी एक जॉब की जिससे रोजी रोटी का साधन हो जाए. पिता जेके टायर में कर्मचारी हैं और परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी. इसलिए ग्रेजुएशन पूर्ण करने के बाद ही मैंने बीएड किया और नवोदय विद्यालय ओडिशा में शिक्षक के रूप में चयनित हो गया लेकिन मेरा सपना सिविल सर्विसेज ही था.

2012 में पीएससी में मेरा सिलेक्शन एक्साइज सब इंसपेक्टर के पद पर हुआ. 2013 में विकास खंड स्तरीय महिला सशक्तीकरण अधिकारी, 2014 में जिला जेल अधीक्षक और अभी सहायक आयुक्त सहकारी के पद पर हुआ है. वर्तमान में एक्साइज सब इंस्पेक्टर के तौर पर मुरैना में पदस्थ हूं. लेकिन मेरा सपना डिप्टी कलेक्टर बनने का है. 2016 का इंटरव्यू और 2017 का मेंस अभी बाकी है.

विकास कुमार सिंह, सहायक आयुक्त सहकारी

ये भी पढ़ें:
MPPSC 2015 TOPPER: मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती

MPPSC 2015: किसान पिता ने बेटे को बनाया डिप्टी कलेक्टर

MPPSC 2015: मन में ठान लो तो कुछ असंभव नहीं

आईएस अधिकारी ने बताए ट्रेनिंग के अनुभव, देखें वीडियो

[sc name="four"]