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iim ahemdabad topper kaushlendra become sabzibala, theinterview.in

नई दिल्ली.
हायर एजुकेशन के बाद स्टूडेंट्स चाहते हैं कि उन्हें मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी नौकरी मिल जाए. लेकिन लाखों के पैकेज को छोड़कर सब्जी का बिजिनेस शुरू कर दे तो आप क्या कहेंगे. पर यह हकीकत है अमहदाबाद आईआईएम से एमबीए में गोल्ड मेडलिस्ट कौशलेन्द्र सिंह ने लाखों के पैकेज को छोड़कर वापस बिहार लौटकर किसानों के लिए काम करने की योजना बनाई. उन्हें एमबीए सब्जीवाला के नाम से भी जाना जाता है.

आईआईएम जैसे देश के टॉप मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से एमबीए करने के बाद कोशलेंद्र ने नौकरी ना करने की बजाय अपने राज्य बिहार में काम करने का रास्ता चुना.इसकी सबसे बड़ी वजह थी यहां के लोगों को रोजगार मुहैया कराना. इसलिए उन्होंने किसानों के साथ मिलकर सब्जी बेचने का एक ऐसा बिजनेस शुरू किया जिसकी मदद से खड़ी कर ली 5 करोड़ की कंपनी.

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कोशलेंद्र की एग्री बिजनेस कंपनी का टर्नओवर पांच करोड़ से ज्यादा है और सबसे खास बात यह कि उनकी यह कंपनी लगभग 20,000 किसानों की मदद कर रही है और उनकी रोजी-रोटी का साधन बन गई है. आपको बता दें बिहार के नालंदा जिले के मोहम्मदपुर गांव में जन्में कौशलेंद्र अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. उनके माता-पिता गांव के स्कूल में ही टीचर हैं. कौशलेन्द्र का मन हमेशा अपने क्षेत्र के लोगों को उन्नत करने के लिए रहता है. यही कारण है कि वे मोटी तनख्वा की नौकरी को छोड़कर वापस अपने गांव लौट आए और किसानों की मदद के लिए कंपनी की शुरूआत की.

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कौशलेंद्र ने बातचीत में बताया कि उनका हमेशा से यही मानना है कि जब तक देश का किसान सुखी नहीं होगा वह देश कभी समृद्ध नहीं रह सकता. उनका कहना है कि किसान अगर संगठित होकर और उन्नत तकनीकों से काम करें तो निश्चित ही उन्हें किसानी में फायदा होगा. इसके लिए उन्हें साथ में मिलकर काम करना होगा.

पढ़ाई खत्म करने के बाद वह वापस पटना आ गए और यहां अपने भाई धीरेंद्र कुमार के साथ 2008 में कौशल्या फाउंडेशन नाम से एक कंपनी बनाई. 20 हजार से ज्यादा किसान परिवारों की जिंदगी उनकी कंपनी से जुडी हुई है. साथ ही लगभग 700 लोग इस कंपनी में नौकरी भी करते हैं.

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