[sc name="three"]

अक्सर कहा जाता है कि खेती घाटे का सौदा है लेकिन देश के युवा अब खेती में भी नित नए-नए प्रयोग कर रहे हैं और इस धारणा को दूर करने के प्रयास में जुटे हैं। ऐसे हैं एक युवा हैं जो पेशे से एडवोकेट हैं और साथ ही खेती में कुछ हटकर करने की चाहत रखते हैं। लाॅकडाउन में जब लोगों ने सेहत की चिंता की तो उन्होंने भी अपनी खेती में ऐसी किस्म के अनाज को उगाने का संकल्प लिया जो कि सामान्य अनाज की तुलना में अधिक पोष्टिक हों। हम बात कर रहे हैं एडवोकेट विशाल त्रिपाठी की। उन्होंने इस बार काला गेहूं(black wheat) की खेती की है।
10 हजार क्विंटल में मंगाया बीज
युवा किसान विशाल त्रिपाठी के उन्होंने यूट्यूब के जरिए black wheat की खेती के बारे में जाना। इसके बाद उन्होंने पंजाब के मोहाली स्थित रिसर्च सेंटर से काले गेहूं का बीज 10 हजार रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मंगाया। विशाल ने 5 बीघा जमीन में काले गेहूं की खेती की है। वह बताते हैं कि फसल पकने में 20 दिन लगेंगे इसके बाद उत्पादन का पता चलेगा।
बुकिंग हो गई प्रारंभ
विशाल त्रिपाठी कहते हैं कि भले ही फसल अभी कटी नहीं है लेकिन पहले से ही बुकिंग हो गई है। लोग उन्हें पहले से ही गेहंू की बुकिंग करने के लिए संपर्क कर रहे हैं।

क्यों काला होता है गेहंू
काले रंग की वजह एंथोसाएनिन इस गेहूं के अनोखे रंग के बारे में वैज्ञानिकों ने बताया कि फलों, सब्जियों और अनाजों के रंग उनमें मौजूद प्लांट पिगमेंट या रंजक कणों की मात्रा पर निर्भर होते हैं। काले गेहूं में एंथोसाएनिन नाम के पिगमेंट होते हैं। एंथोसाएनिन की अधिकता से फलों, सब्जियों, अनाजों का रंग नीला, बैंगनी या काला हो जाता है। एंथोसाएनिन नेचुरल एंटीआॅक्सीडेंट भी है। यही कारण है कि यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। आम गेहूं में एंथोसाएनिन महज 5पीपीएम होता है, लेकिन काले गेहूं में यह 100 से 200 पीपीएम के आसपास होता है। एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है। काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है। हालांकि, प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में होते हैं।

आर्गेनिक खेती भी की
विशाल त्रिपाठी काले गेहूं के साथ ही जैविक खेती की तरफ भी ध्यान दे रहे हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने काला और बंशी गेहूं को जैविक तरीके से किया है। इसके लिए उन्होंने डीकम्पोजर, छाछ सहित अन्य जैविक तरीकों का इस्तेमाल खेती में किया है।

कैसे करें काले गेहूं कि खेती– काले गेहूं कि यह किस्म है नाबी एमजी जो 2017 में किसानों के बीच आई। आइए जानते हैं कैसे इसकी खेती करें –
मिट्टी
विशाल के काले गेहूं कि खेती उन सभी क्षेत्रों में की जा सकती है जहां सामान्य गेहूं कि खेती होती है. हालांकि इसके लिए काली मिट्टी उत्तम होती है।
बीजदर
प्रति एकड़ के लिए 45 से 50 किलो काले गेहूं के बीज की जरूरत पड़ती है। विशाल का कहना है कि सामान्य गेहूं की तुलना में इसके कम बीज की जरूर पड़ती है। दरअसल, इस किस्म के गेहूं की फुटाव क्षमता अधिक होने के कारण इसमें अधिक कल्ले निकलते हैं।

बुवाई का सही समय
काले गेहूं कि बुवाई के लिए 1 नवंबर से 15 नवंबर तक का उचित समय है। इसके बाद भी बुवाई की जा सकती है लेकिन इसका असर उत्पादन पर पडता है।
सिंचाई
काले गेहूं कि खेती 4 सिंचाई में हो जाती है लेकिन पथरीली और रेतीली जमीन में इसमें 5 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। गेहूं की यह किस्म 130 से 135 दिनों में पक जाती है।

रोग एवं कीट
काले गेहूं कि यह किस्म रोग प्रतिरोधक होती है। इसलिए इसमें किसी भी तरह की बीमारी के लगने की कम संभावना रहती है।
उपज
काले गेहूं कि प्रति एकड़ 20 से 22 क्विंटल की उपज होती है।
बीज कहां से प्राप्त करें
विशाल त्रिपाठी
, ग्वालियर मध्य प्रदेश
मोबाइल नंबर 8085575354, 9630540975

[sc name="four"]